Thursday, December 4, 2014

मनुष्य की परिवर्तनकारी शक्ति के प्रति आस्था है आरपी वर्मा की गजलों में

गजल संग्रह ‘आदमी ही बनाएगा' का विमोचन

बोकारो: 29 नवंबर 2014
अली इमाम खान 
आज स्थानीय रेडक्रास सभागार में आरपी वर्मा के गजल संग्रह ‘आदमी ही बनाएगा' का विमोचन गिरिडीह काॅलेज, गिरिडीह के प्राचार्य अली इमाम खान ने किया। उन्होंने कहा कि ये गजलें जनता की जिंदगी की बेहतरी के लिए होने वाले प्रतिरोध और संघर्ष की आवाज हैं। इन्होंने सामाजिक जिम्मेवारी के तहत एक वैचारिक जुनून के साथ गजलें रची हैं। इनमें इंसानी भाईचारा और सांप्रदायिक सद्भाव के प्रति शायर की प्रतिबद्धता नजर आती है। उन्होंने कहा कि जमाने की जरूरत के तहत कला और साहित्य में भी बदलाव आता है। आरपी वर्मा की गजलें बदले हुए दौर की गजलें हैं। 
सुधीर सुमन 
इस गजल संग्रह के भूमिका लेखक समकालीन जनमत के संपादक सुधीर सुमन ने कहा कि जनतंत्र के नाम पर कायम धनतंत्र ने जिन विडंबनाओं को जन्म दिया है, उसे इन गजलों में दर्ज किया गया है। गजलकार का कहना है कि ‘जिनके हाथों लाठी उसी का बोलबाला/ बना चुनाव संहिता एक किताब देखिए।’ चुनाव संहिता ही नहीं, चुनावी घोषणापत्र भी किताबी हो चुके हैं। राजनीतिक पार्टियां बड़ी-बड़ी बातें करती हैं, पर उन पर अमल नहीं करतीं, बल्कि संप्रदाय, क्षेत्र, जाति, भाषा के नाम पर जनता को विभाजित करने में ज्यादा मशगूल रहती हैं। देश को बेचने वालों और अमीर देशों के आगे हाथ पसारने वालों से उनका जबर्दस्त विरोध है। खैरात के बल पर विकास की हकीकत को वे जानते हैं, इसीलिए यहां भी वे अपनी ही ताकत पर भरोसा करने की बात करते हैं- ‘आज नहीं तो कल करेंगे, खुद हम अपना विकास/ चंद डॉलर के लिए इस देश को मत तौलिए।’ दरअसल आरपी वर्मा का राष्ट्रवाद भगतसिंह का राष्ट्रवाद है। 
उन्होंने कहा कि अत्यंत सहज अंदाजेबयां वाली ये रचनाएं चेतना और विचार के स्तर पर हिंदी-उर्दू की लोकप्रिय जनपक्षधर परंपरा से जुड़ती हैं। शंकर शैलेंद्र, दुष्यंत कुमार, अदम गोंडवी, नागार्जुन जैसे प्रगतिशील-जनपक्षधर कवियों और शायरों तथा राहुल सांकृत्यायन जैसे विचारकों का आरपी वर्मा की रचनाओं पर गहरा असर है। ये एक वामपंथी कार्यकर्ता रहे हैं और साम्यवाद के लिए जनमत बनाने के लिए इनकी जिंदगी समर्पित रही है। इसीलिए इनकी गजलों में मनुष्य की परिवर्तनकारी शक्ति के प्रति आस्था दिखाई पड़ती है। कोई भी धारणा या विचार जो मनुष्य को अपनी ही परिवर्तनकारी ताकत के प्रति भरोसे को कमजोर करती है, उससे रचनाकार का टकराव है।
हमारे वक्त में धर्म के धंधे तथा सामंती-पूंजीवादी शोषण के सिलसिले और भी बढ़े हैं। आज धार्मिक आस्थाओं के राजनीतिक कारोबारी जिस तरह प्राकृतिक संसाधनों की भीषण लूट के लिए आतुर कारपोरेट्स के साझीदार बन चुके हैं, वह बेहद खतरनाक है। खतरा सिर्फ मनुष्यों के लिए ही नहीं है, बल्कि पूरे पर्यावरण के ही नाश का संकट मंडरा है। आरपी वर्मा अपने गीत में अपने पुरखे रचनाकारों और विचारकों की लड़ाई को दो टूक शब्दों में आगे बढ़ाते हुए लिखते हैं- ‘बस व्यवस्था को बदल दीजिए, पूंजीवाद को ध्वस्त कीजिए/ जंगल-जमीं-नदी-नाला, हर चेहरा बदल जाएगा।’
कवि-आलोचक बलभद्र 
कवि आलोचक बलभद्र ने कहा कि आरपी वर्मा का गजल संग्रह इसकी बानगी है कि पत्र-पत्रिकाओं में छपने वाले रचनाकारों से इतर भी ऐसे रचनाकारों की बड़ी तादाद है, जिनकी रचनाओं में जिंदगी की आग और परिवर्तन की छटपटाहट बड़े प्रभावशाली ढंग से अभिव्यक्त हुई है। आपातकाल और सोवियत संघ के ध्वंस, दक्षिणपंथी ताकतों के उभार आदि का जिक्र करते हुए कहा कि इस पूरे काल खंड में सत्ता का चरित्र जो क्रमशः बर्बर होता गया है, आरपी वर्मा की रचनाएं उसकी शिनाख्त करती हैं। 
कथाकार प्रह्लाद चंद दास ने कहा कि आरपीवर्मा के शब्दों के तेवर और उनकी धार जानी-पहचानी है। वे चाहते हैं कि जल्दी से जल्दी से इस व्यवस्था को बदल दिया जाए। गीतकार-कथाकार रंजना श्रीवास्तव ने दामिनी और मलाला पर लिखी गई उनकी गजलों का जिक्र करते हुए ‘बेटियां’ शीर्षक उनकी गजल का पाठ किया। एटक के विद्यासागर गिरि ने कहा कि इस आत्मकेंद्रित दौर में आरपीवर्मा की रचनाएं मानव समाज मानवीय संवेदना के पक्ष में खड़ी हैं। जलेस के कुमार सत्येंद्र ने कहा कि वर्मा जी में समाज बदलने की जिद है और यह उनकी रचनाशीलता की बुनियादी ताकत है। मगही में लिखी गई उनकी कविताएं और भी धारदार हैं। भावना वर्मा ने कहा कि वर्मा जी ने जनचेतना और जनजागृति के लिए लिखा है। गीतकार महेश मेहंदी ने कहा कि वर्मा जी जिंदगी के संघंर्षों के रचनाकार हैं। भ्रष्टाचार, अंधविश्वास, जनविरोधी राजनीति का उन्होंने विरोध किया है। रेडक्रास सोसाइटी के वाइस चेयरमैन एसएसपी वर्मा ने स्वास्थ्य सेवाओं और ब्लड बैंक के निर्माण के लिहाज से आरपी वर्मा के अमूल्य योगदान को चिह्नित किया। 
आर पी वर्मा, सुधीर सुमन, ओम राज 
समारोह शुरू होने से पहले आरपी वर्मा ने अतिथियों और श्रोताओं का स्वागत किया। संचालक ओम राज ने आरपी वर्मा का परिचय देते हुए कहा कि दिन के आठ घंटे वे जेनरल हाॅस्पीटल में कर्तव्यनिष्ठ लैब टेकनिशियन की जिम्मेवारी निभाते थे और बाकी का समय एक वामपंथी राजनैतिक कार्यकर्ता के बतौर अपनी भूमिका निभाते रहे। इन्होंने नुक्कड़ नाटकों में अभिनय भी किया। दक्षिणपंथी प्रतिक्रियावाद के खतरों के खिलाफ वे प्रगतिशील-वामपंथी ताकतों की एकता के लिए रचना और जीवन दोनों स्तर पर सक्रिय हैं। मंच पर डाॅ. यू. मोहंती और सभागार में शहर के कई जाने-माने साहित्यकार बुद्धिजीवी मौजूद थे। धन्यवाद ज्ञापन गजलकार आरपी वर्मा ने किया। 

ओम राज द्वारा जारी

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