Thursday, December 4, 2014

मीडिया जितनी भी मदद करे, मोदी इस देश को चला नहीं पाएंगे : परंजोय गुहा ठाकुरता



तीसरा कुबेर दत्त स्मृति व्याख्यान संपन्न
नई दिल्ली : 23 नवंबर 2014
आज गाँधी शांति प्रतिष्ठान में जसम द्वारा आयोजित 'मीडिया और मोदी' विषय पर तीसरा कुबेर दत्त स्मृति व्याख्यान देते हुए मशहूर पत्रकार, राजनीतिक विश्लेषक और डाक्यूमेंट्री फ़िल्मकार परंजोय गुहा ठाकुरता ने कहा कि आज जो लोक माध्यम हैं, उनमें बहुत बदलाव आ गया है. कारपोरेट घरानों का लोकमाध्यमों पर दबाव बढ़ गया है. आज विज्ञापन और खबर के बीच फर्क खत्म हो गया है. मीडिया प्रधानमंत्री का विज्ञापन एजेंसी बन गया है . 2002 के बाद जब वो गुजरात का मुख्यमंत्री बने उसके बाद उनकी एक दूसरी छवि भी बनी है और इसे बनाने में मीडिया की अहम भूमिका है .
उन्होंने कहा कि मोदी ने सवालों का जवाब देना बंद कर दिया और मीडिया में वन वे कम्युनिकेशन शुरू किया. नरेन्द्र मोदी ने लोकमाध्यमों पर तो नियंत्रण की योजना के साथ काम किया. सोशल मीडिया का भी जमकर इस्तेमाल किया गया. आज दुनिया में 130-135 करोड़ लोग फेसबुक पर हैं, इनमें ऐसे समूह हैं जो नरेन्द्र मोदी के खिलाफ लिखने वालों के खिलाफ गालियों वाले पोस्ट या मेल भेजते हैं. 
परंजोय ने कहा कि लोकसभा चुनाव के पहले पहली बार हमने देखा कि किस तरह पैसे का इस्तेमाल हुआ. उन्होंने सवाल उठाया कि यह पैसा कहा से आया? दो-तीन पूंजीपतियों के साथ मोदी की घनिष्ठता की ओर संकेत करते हुए उन्होंने कहा कि यह याराना पूंजीवाद है, यह भाई भतीजे और दोस्तों के लिए पूंजीवाद है. उन्होंने गुजरात जनसंहार में मोदी की भूमिका और उनके शासनकाल में गुजरात में संगठित साम्प्रदायिक आतंक की राजनीति के प्रसंगों का भी जिक्र किया. 
कारपोरेट ताकतों के साथ साथ मोदी को आप्रवासियों से मिलने वाली मदद का भी हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि इस मदद का कोई हिसाब-किताब नहीं है. 
परंजोय ने सवाल उठाया कि आज 'अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता' के मौलिक संवैधानिक अधिकार का मतलब क्या है? आज जब नौकरी नहीं मिल रहा, खाद्यान्न का संकट बढ़ रहा है, तो क्या इसे प्रगति कहा जा सकता है? उन्होंने कहा कि यह देश विविधताओं वाला देश है और यहाँ लोग जीवन की बेहद बुनियादी जरूरतों का समाधान चाहते हैं, यह चाहत खुद भाजपा और आर.एस.एस. के भीतर भी अंतर्विरोधों का जन्म देगी. मीडिया जितनी भी मदद करे, मोदी इस देश को चला नहीं पाएंगे. यह सही है कि आज विरोधी दल और वामपंथी दल कमजोर हैं, लेकिन भविष्य अंधकारमय नहीं होगा. एक न एक दिन सब कुछ सामने आ जायेगा. 
परंजोय ने दुनिया के कई हिस्सों में लोकतंत्र को मजबूत करने में इंटरनेट की भूमिका का जिक्र करते हुए कहा कि जिन लोकमाध्यमों के जरिए जनता को नुकसान पहुंचाया जा रहा है, उसे हथियार भी बनाया जा सकता है. कभी कलम से तलवार का काम लेने की बात होती थी, आज उसी तरह मोबाइल को हथियार बनाया जा सकता है. आज हर नागरिक पत्रकार बन सकता है. जो कारपोरेट घरानों और राजनेताओं का गठजोड़ है उसके खिलाफ जो वास्तिवकता है, जो सत्य है उसे सामने लाया जा सकता है. उन्होंने कहा कि आज की परिस्थितियों में निराश होना आसान है, पर एक होकर लड़ना आज की जरूरत है, बेशक यह रास्ता मुश्किल और कठिनाइयों से भरा है. लेकिन उम्मीद इसी से है. व्याख्यान के बाद वरिष्ठ पत्रकार उज्जवल भट्टाचार्य, पीयूष पन्त, पंकज श्रीवास्तव आदि के सवालों का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि पूँजीपति और सरकार के गठजोड़ के खिलाफ वैकल्पिक मीडिया को मजबूत बनाने के लिए संगठित प्रयास करना होगा.
जन संस्कृति मंच द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम की शुरुआत कुबेर दत्त के कविता संग्रह ‘शुचिते’ के लोकार्पण और उनकी कविता 'जब तुम पहुचो वयः संधि' पर के पाठ से हुई. कुबेर दत्त की कविताओं का यह संग्रह दुनिया की तमाम बेटियों और महाकवि निराला की बेटी सरोज को समर्पित है. कविता संग्रह में प्रसिद्ध चित्रकार हरिपाल त्यागी के चित्र भी हैं. कार्यक्रम की शुरुआत करते हुए चित्रकार हरिपाल त्यागी ने संग्रह की भूमिका के माध्यम से कुबेरदत्त की कविताओ के महत्त्व को रेखांकित किया . 
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए प्रसिद्ध चित्रकार और उपन्यासकार अशोक भौमिक ने कहा इस कार्यक्रम का आयोजन इस बात का संकेत है कि हम मिलजुल कर ही काम कर सकते हैं सांस्कृतिक संगठनों को आपसी एकता को और बढ़ाना होगा. 
कार्यक्रम में दूरदर्शन आर्काइव की पूर्व निदेशक और नृत्य निर्देशक कमलिनी दत्त, फ़िल्मकार संजय जोशी ,समयांतर संपादक पंकज बिष्ट, पत्रकार पंकज श्रीवास्तव , गोपाल प्रधान, अजय सिंह, शोभा सिंह, संजय शर्मा, राजाराम सिंह, सुबोध सिन्हा, मोहन सिंह, सौरभ नरुका, डॉ आशुतोष कुमार , राकेश तिवारी, राधिका मेनन , अखिलेश मौर्या, अंजनी, प्रेम भारद्वाज, भूपेन, अच्युतानंद मिश्र, अनुपम सिंह , बृजेश , दिनेश, श्रीकांत पाण्डेय, आशीष मिश्र, राम नरेश, रोहित कौशिक, रामनिवास, बृजेश, उदय शंकर, खालिद, रविप्रकाश, राजेशचंद्र, राधेश्याम मंगोलपुरी, मसूद अख्तर, सुनील सरीन, शक्ति देवी, दक्षा शर्मा, कमला श्रीनिवासन, वासु, रविदत्त शर्मा, सोमदत्त शर्मा, संजय भारद्वाज , विवेक भारद्वाज, अवधेश कुमार सिंह, श्याम सुशील, श्याम अनम, जगमोहन, उद्देश्य कुमार समेत कई साहित्यकार-संस्कृतिकर्मी, शोधार्थी, राजनैतिक कार्यकर्त्ता और बुद्धिजीवी मौजूद थे . कार्यक्रम का संचालन जन संस्कृति मंच के राष्ट्रीय सहसचिव सुधीर सुमन ने किया.

रामनरेश राम द्वारा जसम दिल्ली इकाई की ओर से जारी

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