Wednesday, October 9, 2013

युवा रंग निर्देशक प्रवीण कुमार गुंजन पर पुलिसिया हमले की निंदा


निरंकुश पुलिसिया राज के खिलाफ सांस्कृतिक प्रतिवाद वक्त की जरूरत है : जन संस्कृति मंच 
नई दिल्ली: 08 अक्टूबर 2013

जन संस्कृति मंच देश के प्रतिभावान युवा रंग निर्देशक प्रवीण कुमार गुंजन की बिहार के बेगुसराय में नगर थाना प्रभारी द्वारा बर्बर पिटाई की कठोरतम शब्दों में निंदा करता है और दोषी पुलिस अधिकारी की बर्खास्तगी की मांग करता है तथा इस बर्बर पुलिसिया हमले के खिलाफ आंदोलनरत बेगूसराय के संस्कृतिकर्मियों के प्रति अपनी एकजुटता का इजहार करता है। एनएसडी से पास आउट प्रवीण कुमार गुंजन ने निर्देशन की शुरुआत ‘अंधा युग’ से की थी। उसके बाद उन्होंने मुक्तिबोध की कहानी ‘समझौता’ पर आधारित नाटक का निर्देशन किया, जो बेहद चर्चित रहा। उन्होंने शेक्सपियर के मशहूर नाटक ‘मैकबेथ’ का भी निर्देशन किया। प्रवीण द्वारा नाटकों का चुनाव और बेगुसराय जैसी जगह को अपनी गतिविधियों का केंद्र बनाना भी अपने आप में महत्वपूर्ण है। भारत के राष्ट्रपति द्वारा अनुमोदित संगीत नाटक कला अकादमी का बिस्मिल्ला खां युवा पुरस्कार और बिहार सरकार का भिखारी ठाकुर युवा रंग सम्मान पा चुके इस युवा रंग निर्देशक के ऊपर पुलिस अगर बेवजह इस तरह बर्बर कार्रवाई का दुस्साहस कर सकती है, तो कल्पना की जा सकती है कि इस देश की आम जनता और आम संस्कृतिकर्मियों के साथ उसका किस तरह का रवैया रहता होगा। 
बेगूसराय से मिली सूचना के अनुसार प्रवीण कुमार गुंजन सोमवार की रात रिहर्सल के बाद रेलवे स्टेशन के पास स्थित चाय की दूकान के पास अपनी बाइक लगाकर साथी रंगकर्मियों के साथ पी रहे थे। चाय पीने के बाद वे लौटने ही वाले थे, तभी थाना प्रभारी अपने गश्ती दल के साथ पहुंचे और उनकी बाइक पर तीन सवारी होने का इल्जाम लगाया। उन्होंने कहा कि बाइक जब चल ही नहीं रही है, तो तीन सवारी कैसे हो गए? गुंजन की खूबसूरत दाढ़ी, उनका कैजुअल ड्रेस और उनके साथ कुछ रंगकर्मी युवकों का होना और पुलिसिया आतंक के आगे उनका न दबना, इतना काफी था बिहार पुलिस के लिए। थाना प्रभारी ने उन पर अपराधी होने का आरोप लगाया और उन्हें पीटना शुरू कर दिया। गुंजन ने उससे यह भी कहा कि वह अपने एसपी और जिलाधिकारी से फोन करके बात कर ले, लेकिन उसने एक नहीं सुनी और उनकी पिटाई जारी रखी। 
मंगलवार 8 अक्टूबर को जब द फैक्ट, जसम, आशीर्वाद रंगमंडल, नवतरंग से जुड़े रंगकर्मियों समेत बेगूसराय के तमाम साहित्यकार-संस्कृतिकर्मियों ने इसका प्रतिवाद किया, तो जिला प्रशासन ने थाना प्रभारी को लाइन हाजिर किया। हालांकि यह भी सूचना मिल रही है कि पुलिस अपने बचाव में प्रवीण और उनके साथियों पर फर्जी मुकदमा दर्ज करने की तैयारी कर रही है। हम इस तरह की संभावित साजिश का पुरजोर करते हैं और बिहार सरकार से यह मांग करते है कि वह तत्काल थाना प्रभारी की बर्खास्तगी की कार्रवाई करे, ताकि पुलिसकर्मियों को यह सबक मिले, कि अगर वे बेगुनाहों पर जुल्म करेंगे, तो उनके खिलाफ भी सख्त कार्रवाई हो सकती है। 
प्रवीण कुमार गुंजन की बर्बर पिटाई ने एक बार फिर से पुलिस राज के खिलाफ मजबूत जन प्रतिवाद की जरूरत को सामने लाया है। उन पर किए गए हमले का सही जवाब यही होगा कि देश और बिहार के संस्कृतिकर्मी सख्त पुलिस राज की वकालत करने वाली और पुलिसिया बर्बरता को शह देने वाली राजनीतिक शक्तियों, सरकारों और विचारों का भी हरसंभव और हर मौके पर अपनी कलाओं के जरिए विरोध करें। देश में बढ़ते निरंकुश पुलिसिया राज के खिलाफ सांस्कृतिक प्रतिवाद वक्त की जरूरत है।

1 comment:

  1. इस सांस्कृतिक प्रतिवाद में सम्मिलित होने की सहमति

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