Thursday, October 2, 2014

कुबेर जी के स्मृति दिवस पर उनकी एक गज़ल


महलों से मुर्दघाट तक फैले हुए हैं आप

मखमल से लेके टाट तक फैले हुए हैं आप


बिजनेस बड़ा है आपका तारीफ क्या करें

मंदिर से लेके हाट तक फैले हुए हैं आप


सोना बिछाना ओढ़ना सब ख्वाब हो गए

डनलप पिलो से खाट तक फैले हुए हैं आप


ईमान तुल रहा है यहां कौडि़यों के मोल

भाषण से लेके बाट तक फैले हुए हैं आप


दरबारियों की भीड़ में जम्हूरियत का रक्स

आमद से लेके थाट तक फैले हुए हैं आप


जनता का शोर खूब है जनता कहीं नहीं

संसद से राजघाट तक फैले हुए हैं आप

                                     - कुबेर दत्त







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